
क्या AI कोडिंग की दुनिया पर राज करेगा? सॉफ़्टवेयर विकास के भविष्य पर गहरी पड़ताल
कंप्यूटर विज्ञान और सॉफ़्टवेयर विकास की दुनिया में हाल ही में एक बड़ा सवाल खड़ा हुआ है: क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) कोडिंग को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लेगा? इस बारे में एक नई बहस ने तूल पकड़ी है, खासकर जब एंथ्रोपिक के CEO डारियो अमोदी ने हाल ही में कहा कि अगले कुछ महीनों में AI पूरी तरह से सॉफ़्टवेयर कोड लिखने में सक्षम होगा।
AI के बढ़ते प्रभाव पर चिंता
AI आधारित कोडिंग उपकरण जैसे GitHub Copilot, Windsurf और Cursor के बढ़ते उपयोग ने सॉफ़्टवेयर इंजीनियरिंग समुदाय में हलचल मचाई है। इन उपकरणों का उद्देश्य कोड को तेजी से और सटीक रूप से जनरेट करना है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या ये पूरी कोडिंग प्रक्रिया को स्वचालित कर देंगे, और इसके परिणामस्वरूप सॉफ़्टवेयर इंजीनियरों के लिए नौकरियों के अवसर कम हो जाएंगे?
एंथ्रोपिक के CEO डारियो अमोदी ने हाल ही में एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि अगले साल तक AI पूरी तरह से कोडिंग को अपने हाथों में ले लेगा। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि तीन से छह महीनों में AI 90% कोड लिखेगा, और फिर अगले 12 महीनों में हम एक ऐसे संसार में होंगे जहां AI लगभग सभी कोड लिखेगा।”
इस घोषणा ने कई लोगों को चौंका दिया है, क्योंकि इससे केवल सॉफ़्टवेयर इंजीनियरों के काम का भविष्य ही प्रभावित नहीं होगा, बल्कि पूरे उद्योग में बदलाव की आहट सुनाई दे रही है।
AI एक उपकरण है, प्रतिस्थापन नहीं
हालांकि, IBM के CEO अरविंद कृष्णा ने अमोदी के विचारों से असहमत होते हुए कहा कि AI केवल कोड के 20-30 प्रतिशत हिस्से को ही जनरेट करेगा, और बाकी हिस्सा हमेशा मनुष्य द्वारा लिखा जाएगा। कृष्णा ने SXSW 2025 सम्मेलन में कहा कि AI डेवलपर्स की उत्पादकता को बढ़ा सकता है, लेकिन यह उनके काम को पूरी तरह से बदल नहीं सकता।
वहीं, Zoho के संस्थापक श्रीधर वेम्बू ने भी यह कहा कि AI से कोडिंग का काम आसान हो सकता है, लेकिन वह सिर्फ बुनियादी और सामान्य कोडिंग कार्यों के लिए प्रभावी है। वेम्बू ने यह भी बताया कि सॉफ़्टवेयर उद्योग में नौकरियों का संकट AI की वजह से नहीं, बल्कि उद्योग के अंदरूनी संरचनात्मक समस्याओं के कारण हो सकता है।
‘वाइब कोडिंग’ – एक नई तरह की कोडिंग
जहां AI से कोडिंग के भविष्य पर सवाल उठाए जा रहे हैं, वहीं एक नया विचार सामने आया है जिसे ‘वाइब कोडिंग’ कहा जाता है। यह शब्द पूर्व OpenAI शोधकर्ता आंद्रेई करपाथी द्वारा सुझाया गया है, जो बताते हैं कि अब AI के उपकरण इतने सक्षम हो गए हैं कि कोई भी व्यक्ति जो कोडिंग के बारे में सामान्य जानकारी रखता है, वह केवल कुछ निर्देश देकर एक पूरा सॉफ़्टवेयर प्रोग्राम बना सकता है।
‘वाइब कोडिंग’ का मतलब है, बिना यह समझे कि कोड असल में कैसे काम करता है, बस AI से कोड लिखवाना। करपाथी के अनुसार, LLMs (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) जैसे ChatGPT अब इतने अच्छे हो गए हैं कि कोई भी उन्हें केवल कुछ संकेत देकर कोड जनरेट करवा सकता है, और कभी-कभी अगर बग्स आते हैं, तो उन्हें ठीक करने के बजाय वह सीधे अपनी समस्या से घेरकर समाधान पा लेते हैं।
हालांकि, इस दृष्टिकोण पर कुछ सॉफ़्टवेयर डेवलपर्स ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि वाइब कोडिंग से विश्वसनीय और उपयोगी कोड नहीं बन सकता, खासकर जब इसे वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किया जाता है। इसके बजाय, वे मानते हैं कि AI-assisted tools को अत्यधिक निर्भरता से बचने के बजाय इसे सीखने के प्रक्रिया का एक हिस्सा बनाना चाहिए।
कोडिंग सीखना या प्रॉम्प्टिंग सीखना?
AI के बढ़ते प्रभाव और कोडिंग के क्षेत्रों में स्वचालन के बावजूद, कई लोग मानते हैं कि कोडिंग सीखना आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना पहले था। Coursera के सह-संस्थापक और AI विशेषज्ञ Andrew Ng ने इस विषय पर टिप्पणी की है। उनका मानना है कि AI से डर कर कोडिंग सीखने से बचना “सबसे खराब करियर सलाह” हो सकती है।
वे कहते हैं, “1960 के दशक में जब प्रोग्रामिंग पंछकार्ड से की जाती थी, तब भी इसने लोगों के लिए कोडिंग को आसान और सुलभ बनाया। और अब, जैसे-जैसे कोडिंग की प्रक्रिया सरल हो रही है, अब और भी बेहतर समय है कोडिंग सीखने का।” उनका यह भी कहना है कि भविष्य में सबसे महत्वपूर्ण कौशल यह होगा कि आप AI से कैसे संवाद कर सकते हैं और उसे अपने काम के लिए सही दिशा में प्रयोग कर सकते हैं।
निष्कर्ष
जहां एक ओर AI की बढ़ती क्षमताओं को लेकर कुछ लोग चिंतित हैं, वहीं दूसरी ओर कई विशेषज्ञ यह मानते हैं कि AI को एक उपकरण के रूप में देखना चाहिए, न कि कोडिंग नौकरियों का प्रतिस्थापन। इसके बावजूद, यह साफ है कि AI कोडिंग के भविष्य को आकार देगा, लेकिन यह इस पर निर्भर करेगा कि हम इसे कितनी अच्छी तरह से सीखते हैं और इसके साथ काम करने के तरीके को कैसे अपनाते हैं।