
शंकराचार्य ने ममता बनर्जी को दी समर्थन, "मृत्युकुंभ" टिप्पणी पर आलोचना का सामना
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुए महाकुंभ मेले में हुए भगदड़ और अन्य व्यवस्थागत समस्याओं को लेकर आलोचना की थी। उन्होंने इसे ‘मृत्युकुंभ’ करार दिया था, जिसके बाद बीजेपी नेताओं ने ममता की टिप्पणी की तीव्र आलोचना की। हालांकि, ममता के इस बयान को उत्तराखंड के ज्योतिष पीठ के 46वें शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने समर्थन दिया।
ममता बनर्जी का बयान:
ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में महाकुंभ के आयोजन को लेकर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा था, “यह मृत्युकुंभ है। मैं महाकुंभ का सम्मान करती हूं, मैं गंगा मां का सम्मान करती हूं, लेकिन इस आयोजन में कोई योजना नहीं थी। इतने लोग मारे गए, क्या हुआ था उनका?” ममता ने प्रयागराज में हुए भगदड़ का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि इस आयोजन में यातायात जाम की समस्या, गंदे पानी की आपूर्ति और प्रशासनिक विफलता प्रमुख कारण हैं, जिन्होंने इस धार्मिक महाकुंभ को भयानक बना दिया।
महाकुंभ में हुए हादसे में 29 जनवरी को 30 लोगों की जान चली गई थी, जब भक्तों की भीड़ एक विशेष दिन पर गंगा स्नान के लिए आगे बढ़ी थी। ममता ने इस घटना को लेकर आयोजकों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का समर्थन:
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने ममता बनर्जी के बयान को सही ठहराया और महाकुंभ के आयोजकों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ के आयोजकों ने भीड़ प्रबंधन की प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “महाकुंभ में 300 किलोमीटर लंबा जाम लग गया। अगर यह गलत प्रबंधन नहीं है तो और क्या है? लोग 25-30 किलोमीटर अपनी सामग्रियों के साथ चलने के लिए मजबूर हो गए थे।”
उन्होंने यह भी कहा कि स्नान के लिए आने वाला पानी गंदे नाले का पानी मिला हुआ था, जो वैज्ञानिकों के अनुसार स्नान के लिए अनुपयुक्त था। फिर भी करोड़ों लोगों को इस पानी में स्नान करने के लिए मजबूर किया गया। “आपको पहले से पता था कि महाकुंभ 12 साल बाद आएगा, फिर आपने इसके लिए कोई योजना क्यों नहीं बनाई?” स्वामी ने सवाल किया।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि यदि इतने बड़े आयोजन में इतने लोग एकत्र होने वाले थे, तो आयोजकों को इसके लिए पहले से एक ठोस योजना बनानी चाहिए थी। उन्होंने आयोजकों पर यह भी आरोप लगाया कि जब भगदड़ के कारण लोगों की मौत हुई, तो यह घटनाओं को छिपाने की कोशिश की गई, जो एक गंभीर अपराध था।
बीजेपी नेताओं की आलोचना:
बीजेपी नेताओं ने ममता बनर्जी के बयान की तीव्र आलोचना की। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने ममता के ‘मृत्युकुंभ’ टिप्पणी को “सनातन और हिंदुओं के खिलाफ घृणा” करार दिया। भंडारी ने ममता के साथ-साथ विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’, कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि इन नेताओं में हिंदू धर्म के प्रति घृणा है और वे सनातन धर्म की एकता से डरते हैं।
भंडारी ने यह भी आरोप लगाया कि अखिलेश यादव महाकुंभ में ‘अकबर’ की तलाश कर रहे थे और राहुल गांधी ने अभी तक महाकुंभ का दौरा नहीं किया है।
स्वामी जितेन्द्रनंद सरस्वती की टिप्पणी:
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेन्द्रनंद सरस्वती ने भी ममता के बयान पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को यह देखकर घबराहट हो रही है कि बंगाल, झारखंड, बिहार, उड़ीसा और अन्य पूर्वी भारत से हिंदू श्रद्धालु बड़ी संख्या में महाकुंभ में आ रहे हैं। उन्होंने भविष्यवाणी की कि पश्चिम बंगाल में आगामी विधानसभा चुनाव ममता के लिए “मृत्युकुंभ” साबित होंगे।
महाकुंभ में मृत्यु संख्या पर विवाद:
विपक्षी नेताओं ने महाकुंभ में हुई भगदड़ में मारे गए लोगों की संख्या को लेकर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मृतकों की संख्या सरकार द्वारा घोषित आंकड़ों से कहीं अधिक थी।
निष्कर्ष:
ममता बनर्जी के ‘मृत्युकुंभ’ टिप्पणी ने महाकुंभ आयोजन के प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जबकि बीजेपी और अन्य धर्मनिरपेक्ष नेता ममता की आलोचना कर रहे हैं, वहीं स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जैसे धार्मिक गुरु इस मुद्दे पर उनकी चिंता को जायज मानते हैं। महाकुंभ जैसी विशाल धार्मिक सभा में प्रबंधन की कमी और दुर्घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने वाली बातें न केवल आयोजकों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि इतने बड़े आयोजन के लिए अग्रिम योजना और तैयारी कितनी जरूरी है।