
संभल मस्जिद विवाद: सार्वजनिक भूमि पर कब्ज़े की कोशिश, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी जानकारी
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि संभल में स्थित शाही जामा मस्जिद के प्रबंधन द्वारा सार्वजनिक भूमि पर कब्जा करने की कोशिश की जा रही है। यह मस्जिद 16वीं शताब्दी की है और पिछले साल दिसंबर में यहां हिंसा हुई थी।
सरकार ने अपनी स्थिति रिपोर्ट में यह भी कहा है कि मस्जिद समिति ने अदालत में भ्रामक तस्वीरें प्रस्तुत की हैं। यह विवाद तब शुरू हुआ जब हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि यह मस्जिद एक हिंदू मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी।
सरकारी रिपोर्ट में क्या कहा गया?
सरकार की रिपोर्ट के अनुसार, विवादित मस्जिद और उसके पास स्थित कुआं सार्वजनिक भूमि पर स्थित हैं, लेकिन मस्जिद प्रबंधन इसे निजी संपत्ति के रूप में दिखाने की कोशिश कर रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “यह कुआं एक सार्वजनिक संपत्ति है और यह मस्जिद या किसी भी धार्मिक स्थल के भीतर स्थित नहीं है। इस कुएं तक मस्जिद के अंदर से कोई भी पहुंच संभव नहीं है और इसका विवादित स्थल से कोई संबंध नहीं है।” रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यह कुआं वर्षों से सभी समुदायों द्वारा उपयोग किया जाता रहा है।
गूगल मैप्स तस्वीरों पर विवाद
मस्जिद समिति ने पिछले महीने गूगल मैप्स की एक छवि प्रस्तुत की थी जिसमें यह दावा किया गया था कि यह कुआं मस्जिद परिसर के अंदर स्थित है। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं द्वारा दी गई तस्वीरें भ्रामक हैं और उनकी याचिका “गुमराह करने वाली” है।
सरकार ने यह भी बताया कि यह कुआं उन 19 प्राचीन कुओं में से एक है जिन्हें जिला प्रशासन वर्षा जल संचयन और जल पुनर्भरण के लिए पुनर्जीवित कर रहा है। सरकार ने तर्क दिया कि इन प्राचीन कुओं का पुनरुद्धार सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है और यह पर्यटन को भी आकर्षित करेगा।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और प्रशासन की प्रतिक्रिया
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद समिति की याचिका पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। अब सरकार ने इस याचिका को खारिज करने की मांग की है। सरकार ने कहा, “मस्जिद समिति की याचिका न केवल पुनरुद्धार प्रक्रिया को विफल करने का प्रयास है, बल्कि क्षेत्र के संरक्षण, विकास और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है।”
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय प्रशासन द्वारा जारी उस नोटिस पर रोक लगा दी थी जिसमें इस कुएं पर पूजा करने की अनुमति दी गई थी। अदालत ने कहा था कि लोग इस कुएं का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं कर सकते।
रमज़ान की सजावट को लेकर विवाद
मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में रमज़ान के दौरान मस्जिद को सजाने की अनुमति मांगी थी। हालांकि, जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने कहा कि ऐसा कोई भी कार्य भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता।
पृष्ठभूमि: हिंसा और ऐतिहासिक विवाद
यह मस्जिद पिछले साल तब विवादों में आ गई थी जब एक स्थानीय अदालत ने इस स्थल का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि इस स्थान पर पहले एक मंदिर हुआ करता था। इस आदेश के बाद क्षेत्र में हिंसा भड़क उठी, जिसमें कई लोग घायल हो गए थे और प्रशासन को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।
अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और अगली सुनवाई का इंतजार किया जा रहा है।