
Piper Serica Advisors के MD ने घरेलू खपत पैटर्न और भारत से एफपीआई की निकासी पर की चर्चा
भारतीय अर्थव्यवस्था में घरेलू खपत के संकेतों के साथ सुधार देखा जा रहा है, लेकिन निवेशकों को बाजार में और सुधार के लिए तैयार रहना चाहिए, यह कहना है Piper Serica Advisors के मैनेजिंग डायरेक्टर अभय अग्रवाल का। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में बाजार में सुधार और गति की उम्मीद की जा सकती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि निकट भविष्य में बिना उतार-चढ़ाव के कोई स्थिरता रहेगी।
घरेलू खपत में सुधार के संकेत
अभय अग्रवाल ने कहा, “हमारे द्वारा हाल ही में किए गए कुछ चैनल चेक से यह जानकारी मिली है कि सीमेंट कंपनियों में अच्छा कारोबार हो रहा है।” इसके अलावा, उन्होंने यह भी बताया कि ऑटो डीलरों के पास इन्वेंट्री (सामान) बहुत कम हो गई है, जो पहले 33 दिनों की होती थी, अब वह मात्र 15 से 18 दिनों की रह गई है। ऐसे में, अगर मांग में कोई बढ़ोतरी होती है और इन्वेंट्री का दबाव कम रहता है, तो खपत में वृद्धि देखने को मिल सकती है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि “मौके उभर रहे हैं, लेकिन निवेशकों को और सुधार के लिए तैयार रहना होगा।”
घरेलू निवेशकों का बाजार में सहारा
अग्रवाल के अनुसार, घरेलू निवेशकों का समर्थन भारतीय बाजार को मंदी के दौर में भी सहारा देने में मदद कर रहा है। उन्होंने यह कहा कि घरेलू निवेशकों द्वारा लगाए जा रहे पैसे की स्थिति में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। अभय अग्रवाल के अनुसार, अब घरेलू निवेशकों के लिए पैसा लगाने के तरीके में बदलाव आ रहा है। पहले लगभग 5% घरेलू बचतें सालाना शेयर बाजार में जाती थीं, जबकि 70% रियल एस्टेट में। अब इस प्रवृत्ति में बदलाव दिख रहा है, और घरेलू निवेश का प्रवाह धीमा है, लेकिन यह बढ़ने की उम्मीद है।
अग्रवाल ने कहा, “निवेशक अब यह समझ चुके हैं कि चाहे बाजार जैसा भी हो, बेहतर है कि एक सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) रखा जाए।” उन्होंने यह भी कहा कि “मैं इस बात से पूरी तरह आश्वस्त हूं कि घरेलू निवेश प्रवाह लगातार बढ़ेगा।”
एफपीआई की निकासी पर टिप्पणी
अग्रवाल ने भारत से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) के बाहर जाने पर कहा कि यह कोई असामान्य घटना नहीं है। उनके अनुसार, FPI की निकासी केवल भारत से ही नहीं हो रही है, बल्कि बड़े निवेशक अपनी स्थिरता की तलाश में अमेरिकी बाजार की ओर रुख कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “बहुत सारा पैसा अमेरिका जा रहा है, और वहां का मार्केट कैप $65 ट्रिलियन है।”
घरेलू खपत में गिरावट का प्रभाव
अग्रवाल ने कहा कि एफपीआई की निकासी का एक कारण यह भी है कि भारत में खपत में गिरावट आई है। पहले वैश्विक निवेशकों के लिए भारत एक मजबूत उपभोग बाजार के रूप में आकर्षक था, क्योंकि यहां की बड़ी जनसंख्या अधिक उपभोग कर रही थी। लेकिन, अब यह स्थिति कमज़ोर हो रही है। उन्होंने कहा, “भारत में उपभोग की वृद्धि का आकर्षण अब कम हो रहा है, खासकर शॉर्ट टर्म में।”
एफपीआई निकासी की भविष्यवाणी
अग्रवाल ने इस बारे में भी कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि एफपीआई की निकासी की यह प्रवृत्ति तब तक बदलेगी जब तक घरेलू मांग में सुधार न हो और साथ ही अमेरिकी बॉन्ड यील्ड्स में गिरावट न हो। उनका कहना है कि यह प्रवृत्ति तब तक जारी रह सकती है, जब तक उपभोग में सुधार और वैश्विक आर्थिक स्थिति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होता।
निष्कर्ष
अभय अग्रवाल के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में घरेलू खपत के संकेतों के साथ सुधार हो रहा है, लेकिन निवेशकों को और सुधार की उम्मीद करनी चाहिए। घरेलू निवेशकों का योगदान भारतीय बाजार में एक स्थिरता प्रदान कर रहा है। एफपीआई की निकासी कोई असामान्य घटना नहीं है, बल्कि यह वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों का हिस्सा है, जिसमें अमेरिकी बाजार की ओर धन का रुख हो रहा है। हालांकि, अगर घरेलू मांग और वैश्विक स्थितियां सही दिशा में जाती हैं, तो बाजार में सुधार देखा जा सकता है।
इसके साथ ही, यह स्पष्ट है कि निवेशकों को किसी भी प्रकार के बाजार सुधार से घबराने की बजाय, एक सटीक और व्यवस्थित निवेश रणनीति अपनाने की आवश्यकता है।