
ओयो होटल्स ने तेज की IPO की योजना: संस्थापक ऋषि अग्रवाल के कर्ज चुकाने की समय सीमा नजदीक
भारत की मशहूर होटल कंपनी ओयो होटल्स अपने शेयर बाजार में कदम रखने की योजना को तेज कर रही है। इसके पीछे कारण है कंपनी के संस्थापक ऋषि अग्रवाल पर बना कर्ज का दबाव, जिसकी पहली किस्त चुकाने की समय सीमा इस साल के अंत तक है। सूत्रों के मुताबिक, अगर ओयो इस साल अक्टूबर तक अपनी प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) शुरू नहीं करती, तो लेनदार अग्रवाल से 38.3 करोड़ डॉलर (लगभग 3,200 करोड़ रुपये) की मांग कर सकते हैं। यह राशि उनके द्वारा लिए गए 2.2 अरब डॉलर के बड़े कर्ज का हिस्सा है।
कर्जदाताओं की शर्तें और अग्रवाल की चुनौती
जापान की मिजुहो फाइनेंशियल ग्रुप जैसी कर्ज देने वाली कंपनियां अग्रवाल की वित्तीय स्थिति को स्पष्ट रूप से देखना चाहती हैं। वे चाहते हैं कि अग्रवाल के पास कर्ज चुकाने की क्षमता हो। अगर ओयो इस साल IPO लॉन्च कर देती है, तो कर्जदाता 2027 तक कर्ज चुकाने की समय सीमा बढ़ाने पर विचार कर सकते हैं। लेकिन ऐसा न होने पर अग्रवाल को इस साल ही कर्ज का हिस्सा चुकाना होगा।
31 साल के ऋषि अग्रवाल ने 2019 में 2.2 अरब डॉलर का कर्ज लिया था। यह कर्ज उन्हें सॉफ्टबैंक ग्रुप के मालिक मसायोशी सोन की गारंटी से मिला था। इस पैसे का इस्तेमाल उन्होंने ओयो में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने और कंपनी पर अधिक नियंत्रण हासिल करने के लिए किया था। उस समय अग्रवाल ने ओयो को अपने दम पर शुरू किया था, जब वे महज किशोर थे। हालांकि, 2022 में इस कर्ज को दोबारा व्यवस्थित किया गया, लेकिन अभी तक इसकी पहली किस्त भी नहीं चुकाई गई है।
ओयो का IPO और उसकी वैल्यूएशन
ओयो, जो कभी सॉफ्टबैंक की सबसे चर्चित निवेश कंपनियों में से एक थी, कई सालों से शेयर बाजार में उतरने की कोशिश कर रही है। कोविड-19 महामारी ने इसके तेज विकास को ठप कर दिया था। अब कंपनी ने बैंकरों के साथ बातचीत शुरू की है और IPO के जरिए अपनी वैल्यूएशन 5 अरब डॉलर (लगभग 42,000 करोड़ रुपये) तक पहुंचाने की योजना बना रही है। सॉफ्टबैंक के पास ओयो में 40% से ज्यादा हिस्सेदारी है, जबकि अग्रवाल की हिस्सेदारी 30% से अधिक है।
अग्रवाल के परिवारिक कार्यालय ने कहा कि ओयो का IPO “कंपनी के मजबूत मुनाफे” को ध्यान में रखकर होगा। मार्च 2024 तक कंपनी को अच्छा मुनाफा हुआ था और मार्च 2025 तक भी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। हालांकि, उन्होंने कर्ज और उसकी पुनर्संरचना को लेकर चल रही खबरों को “गलत और अफवाह” करार दिया। उनका कहना है कि 5 अरब डॉलर की वैल्यूएशन की बात भी हकीकत से कम है, क्योंकि हाल के सेकेंडरी ट्रांजैक्शन में कंपनी की कीमत इससे ज्यादा आंकी गई थी। सॉफ्टबैंक और मिजुहो ने इस बारे में अभी कोई टिप्पणी नहीं की है।
ओयो की शुरुआत और चुनौतियां
ऋषि अग्रवाल ने 2013 में कॉलेज छोड़कर ओयो की नींव रखी थी। इसे भारत का “एयरबीएनबी” कहा जाता है। सॉफ्टबैंक के मसायोशी सोन ने युवा अग्रवाल को मेंटरशिप दी और जापान, अमेरिका जैसे बाजारों में तेजी से विस्तार करने की सलाह दी। लेकिन यह विस्तार कंपनी के लिए नुकसानदायक साबित हुआ। कोविड-19 ने भी ओयो के कारोबार को बड़ा झटका दिया, जो सस्ते होटलों पर आधारित था। विदेशी विस्तार में नुकसान, कानूनी विवाद और घाटे ने ओयो को मुश्किल में डाल दिया। यह उस भारतीय स्टार्टअप बूम का उदाहरण बन गया, जो निवेशकों के मुनाफे पर ध्यान देने के बाद कमजोर पड़ गया।
पुनर्जनम और भविष्य की उम्मीदें
महामारी के बाद ओयो ने धीरे-धीरे वापसी की है। मार्च 2024 तक कंपनी ने छोटा मुनाफा कमाया, क्योंकि उसकी बिक्री फिर से पटरी पर आई। पिछले साल अग्रवाल ने अपनी सिंगापुर की निवेश फर्म के जरिए ओयो में 830 करोड़ रुपये (95 मिलियन डॉलर) का निवेश किया। यह कदम कंपनी को मजबूती देने की दिशा में उठाया गया था।
निष्कर्ष
ओयो होटल्स के लिए यह समय बेहद महत्वपूर्ण है। अगर कंपनी इस साल IPO लॉन्च कर पाती है, तो न केवल अग्रवाल को कर्ज के बोझ से राहत मिलेगी, बल्कि ओयो भी शेयर बाजार में अपनी नई शुरुआत कर सकेगी। हालांकि, कर्जदाताओं की सख्त शर्तें और बाजार की अनिश्चितता चुनौतियां बनी हुई हैं। अग्रवाल और उनकी टीम के लिए यह एक मौका है कि वे ओयो को फिर से भारत के स्टार्टअप जगत में चमकता सितारा बनाएं। अगर वे सफल होते हैं, तो यह न केवल उनके लिए, बल्कि भारतीय उद्यमिता के लिए भी एक बड़ी जीत होगी। अब सबकी नजर इस बात पर है कि क्या ओयो इस साल अपने IPO के सपने को सच कर पाएगी।