
Nifty 1% गिरा, Sensex 800 अंक टूटा - जानें बाजार में गिरावट की 3 बड़ी वजहें
भारतीय शेयर बाजार में सोमवार को भारी गिरावट देखने को मिली। Nifty और Sensex में 1% से ज्यादा की गिरावट आई, जिससे निवेशकों को बड़ा नुकसान हुआ। विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली, कमजोर वैश्विक संकेत और स्मॉल एवं मिड-कैप शेयरों में करेक्शन इस गिरावट के मुख्य कारण रहे।
अगर यह गिरावट सत्र के अंत तक जारी रहती है, तो यह लगातार पांचवां दिन होगा जब बाजार लाल निशान में बंद होगा।
सितंबर 2024 में अपने उच्चतम स्तर से अब तक, Nifty 13.7% और Sensex 12% गिर चुका है। यह 2020 के बाद की सबसे बड़ी गिरावट मानी जा रही है। ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार की कुल बाज़ार पूंजी लगभग 1.2 ट्रिलियन डॉलर घटकर 3.99 ट्रिलियन डॉलर रह गई है।
1. कमजोर वैश्विक बाजारों का असर
भारतीय शेयर बाजार पर वैश्विक बाजारों की कमजोरी का बड़ा असर देखने को मिल रहा है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था से जुड़े कमजोर आंकड़ों ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी है। शुक्रवार को वॉल स्ट्रीट के तीनों प्रमुख इंडेक्स में गिरावट दर्ज की गई। S&P 500 और Dow Jones Industrial Average 1.7% गिरे, जबकि Nasdaq Composite में 2.2% की गिरावट आई।
अमेरिका की मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि में भी गिरावट आई है। फरवरी में अमेरिका का कंपोजिट PMI इंडेक्स 50.4 पर आ गया, जो जनवरी में 52.7 था। यह सितंबर 2023 के बाद का सबसे निचला स्तर है।
अमेरिका में महंगाई दर 30 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है और उपभोक्ता विश्वास उम्मीद से अधिक गिर गया है। इससे वैश्विक स्तर पर निवेशकों का सेंटीमेंट कमजोर हुआ है।
इसके अलावा, जापान का Nikkei 225 इंडेक्स 1.4% गिर गया, दक्षिण कोरिया का Kospi 0.6% टूटा और हांगकांग एवं शंघाई के चीनी बाजारों में भी भारी गिरावट देखी गई।
2. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारी बिकवाली भारतीय बाजार पर नकारात्मक असर डाल रही है। फरवरी में अब तक FPI ने 23,710 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। इससे पहले, जनवरी में भी उन्होंने 78,027 करोड़ रुपये के शेयरों की बिकवाली की थी।
2025 की शुरुआत से अब तक FPI निवेशकों ने कुल 1.01 लाख करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन FPI निवेशकों ने 3,449 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की।
बिकवाली के मुख्य कारणों में वैश्विक व्यापार शुल्क की अनिश्चितता, पूंजी का चीन की ओर रुख और डॉलर की मजबूती शामिल हैं। डॉलर के मजबूत होने से भारतीय शेयर विदेशी निवेशकों के लिए कम आकर्षक हो गए हैं।
3. स्मॉल और मिड-कैप शेयरों में गिरावट
बाजार की गिरावट में स्मॉल और मिड-कैप शेयरों का भी बड़ा योगदान है। Nifty Smallcap 250 इंडेक्स में 2% से ज्यादा और Nifty Midcap 150 इंडेक्स में 1.8% की गिरावट दर्ज की गई। इन दोनों ने मुख्य सूचकांकों से भी अधिक गिरावट दर्ज की।
JM Financial Institutional Securities Ltd. के एमडी और रिसर्च को-हेड वेंकटेश बालासुब्रमण्यम के अनुसार, लार्ज-कैप कंपनियों की कमाई के अनुमान में कटौती खत्म हो गई है, लेकिन छोटे और मझोले शेयरों में अभी और करेक्शन हो सकता है। उन्होंने कहा कि बाजार में 5-7% और गिरावट संभव है।
उन्होंने निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी और कहा, “यह साल पैसा बनाने का नहीं, बल्कि बचाने का है। स्मॉल और मिड-कैप शेयरों में गिरावट अभी पूरी नहीं हुई है।”
2025 की शुरुआत से अब तक स्मॉल-कैप इंडेक्स 18% और मिड-कैप इंडेक्स 13% तक गिर चुके हैं।
निवेशकों के लिए क्या रणनीति होनी चाहिए?
इस समय बाजार में अनिश्चितता बनी हुई है, इसलिए निवेशकों को सावधानीपूर्वक निर्णय लेने की जरूरत है। विशेषज्ञों की मानें तो लंबी अवधि के निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि वे इस गिरावट को अच्छे शेयरों में निवेश करने के अवसर के रूप में देख सकते हैं।
हालांकि, शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि बाजार में अभी और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। जोखिम लेने से पहले अच्छी तरह रिसर्च करना जरूरी है।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार में गिरावट के पीछे कमजोर वैश्विक संकेत, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और स्मॉल एवं मिड-कैप शेयरों में करेक्शन जैसी वजहें हैं। हालांकि, दीर्घकालिक निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि इस करेक्शन को खरीदारी के मौके के रूप में देखना चाहिए। लेकिन, अल्पकालिक निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि बाजार में अस्थिरता अभी बनी रह सकती है।