
ऑल इंग्लैंड ओपन: त्रीसा और गायत्री ने कोरियाई जोड़ी को हराकर क्वार्टर फाइनल में कदम रखा
बैडमिंटन की दुनिया में भारत का नाम एक बार फिर से गूंज उठा है। ऑल इंग्लैंड ओपन 2025 में भारतीय जोड़ी त्रीसा जॉली और गायत्री गोपीचंद ने शानदार प्रदर्शन करते हुए कोरिया की मशहूर जोड़ी किम हाय जियोंग और कांग ही योंग को हराकर क्वार्टर फाइनल में जगह बना ली। यह मुकाबला 87 मिनट तक चला और इसमें भारतीय जोड़ी ने हार नहीं मानी। पहले सेट में हार के बाद भी उन्होंने हिम्मत दिखाई और 15-21, 21-18, 21-18 से जीत हासिल की। यह जीत न सिर्फ उनके कौशल को दिखाती है, बल्कि उनकी मानसिक मजबूती को भी साबित करती है।
यह मुकाबला ऐसा था मानो शतरंज का खेल चल रहा हो। गायत्री ने नेट पर तेज और चतुराई भरी चालें चलीं, तो त्रीसा ने अपनी ताकतवर स्मैश से कोरियाई जोड़ी को परेशान किया। खासकर तीसरे सेट में जब स्कोर 17-18 था, तब गायत्री ने एक ऐसा शॉट खेला जो कोरियाई खिलाड़ियों के लिए हैरानी भरा था। यह शॉट इतना सूक्ष्म था कि उनके कोच तान किम हर और सुमीत रेड्डी भी समझ नहीं पाए कि शटल कहाँ गिरी। गायत्री की यह चालाकी और त्रीसा की ताकत ने आखिरी पलों में बाजी पलट दी।
ऑल इंग्लैंड का खास महत्व
ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन की दुनिया का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है। त्रीसा और गायत्री के लिए यह कोई साधारण मंच नहीं है। उनके कोच और गायत्री के पिता पुलेला गोपीचंद इस टूर्नामेंट को बहुत अहमियत देते हैं। वह अपनी बेटी और त्रीसा को सुबह 30 मिनट की सख्त ट्रेनिंग देते हैं, जो इतनी कठिन होती है कि 9 बजे से पहले ही दोनों थक जाती हैं। इस ट्रेनिंग में शतरंज की तरह अगली तीन चालें सोचने की प्रैक्टिस होती है। इसका मकसद है कि दोनों खिलाड़ी दबाव में भी शांत रहें और खेल की बारीकियों को समझें। गायत्री ने बाद में कहा, “यहाँ खेलना बहुत खास है। जब हम यहाँ होते हैं, तो 200 प्रतिशत मेहनत करते हैं। मुझे यहाँ खेलना पसंद है।”
गायत्री का शानदार खेल
21 साल की गायत्री और त्रीसा ने इस मैच में अपनी भूमिकाएँ बखूबी निभाईं। गायत्री नेट पर तितली की तरह उड़ीं, तो त्रीसा ने पीछे से भंवरे की तरह डंक मारा। दोनों की जोड़ी में एक खास तालमेल है। उनकी ट्रेनिंग ऐसी है कि वे एक-दूसरे की स्थिति को बिना देखे समझ लेती हैं। कोच सुमीत रेड्डी ने उन्हें सिखाया कि हर शॉट परफेक्ट नहीं हो सकता, लेकिन गलती के बाद अगले शॉट के लिए तैयार रहना जरूरी है। इस मैच में गायत्री का प्रदर्शन लाजवाब था। पहले सेट में हार के बाद दूसरे सेट में 14-14 पर उन्होंने आक्रामक रुख अपनाया। उनकी तेजी और कोण इतने सटीक थे कि कोरियाई खिलाड़ी परेशान हो गए। गायत्री ने शटल को उनके शरीर की ओर मारा, जिससे वे उलझ गए और गलतियाँ करने लगे। दूसरा सेट 21-18 से जीतने के बाद तीसरे सेट में भी उनकी चपलता कमाल की थी।
त्रीसा की ताकत और नई पहचान
त्रीसा जॉली अपनी ताकतवर स्मैश के लिए जानी जाती हैं, लेकिन इस मैच में उन्होंने दिखाया कि वह सिर्फ ताकत की खिलाड़ी नहीं हैं। उनकी रैकेट स्किल्स अब इतनी बेहतर हो गई हैं कि वह हर तरह का शॉट खेल सकती हैं। तीसरे सेट में 17-17 पर उनकी स्मैश ने स्कोर बराबर किया, और फिर गायत्री ने नेट पर जादू दिखाकर जीत पक्की कर दी। कोरियाई जोड़ी को समझ ही नहीं आया कि इन भारतीय खिलाड़ियों का जवाब कैसे देना है। उनकी रणनीति न ताकत से रुकी, न ही डिफेंस से। त्रीसा और गायत्री की लगातार हलचल और तेजी ने कोरियाई खिलाड़ियों को थका दिया।
मानसिक मजबूती का कमाल
तीसरे सेट में जब स्कोर 12-15 हो गया था, तब भी यह जोड़ी हारी नहीं। 15-16 पर गायत्री ने जमीन पर गिरते हुए भी शटल को वापस भेजा, जिससे उन्हें थोड़ा समय मिला। इसके बाद दोनों ने आक्रामक खेल दिखाया। त्रीसा ने पीछे से मजबूत कवर दिया, तो गायत्री ने नेट पर तेजी से हमला बोला। कोच रेड्डी ने कहा, “गायत्री और त्रीसा ने बीच के शॉट्स को पकड़ने की हिम्मत दिखाई। यह सिर्फ विजेता शॉट्स की बात नहीं थी, बल्कि रैली में दबाव बनाने की थी।”
अगली चुनौती
अब क्वार्टर फाइनल में उनका मुकाबला चाइना की ताकतवर जोड़ी लियू शेंग शू और तान निंग से होगा। यह जोड़ी वर्ल्ड नंबर 2 है और ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीत चुकी है। त्रीसा और गायत्री, जो वर्ल्ड रैंकिंग में 9वें नंबर पर हैं, इस मुकाबले में अंडरडॉग होंगी। दोनों का इस चीनी जोड़ी के खिलाफ रिकॉर्ड 1-4 है, लेकिन तैयारी पूरी है। गायत्री ने कहा, “यह 87 मिनट का शानदार मैच था। हम मानसिक रूप से तैयार थे। ड्रॉ देखते ही हमें पता था कि हम इसके लिए तैयार हैं।”
नया इतिहास रचने की ओर
त्रीसा और गायत्री की यह जीत भारतीय बैडमिंटन के लिए बड़ी बात है। ऑल इंग्लैंड में यह उनकी तीसरी क्वार्टर फाइनल है। अगर वे अगला मुकाबला जीतती हैं, तो सेमीफाइनल में पहुँचकर नया इतिहास रच सकती हैं। इन युवा खिलाड़ियों ने दिखा दिया कि मेहनत, रणनीति और हिम्मत से बड़ी से बड़ी चुनौती को पार किया जा सकता है।