
मध्य प्रदेश में 5 साल की बच्ची के साथ हैवानियत: किशोर पड़ोसी ने रेप के बाद दी दर्दनाक सजा
भोपाल: मध्य प्रदेश के शिवपुरी में एक 5 साल की मासूम बच्ची के साथ हुई क्रूरता ने हर किसी का दिल दहला दिया है। एक 17 साल के किशोर ने न सिर्फ बच्ची के साथ दुष्कर्म किया, बल्कि उसे इतनी बेरहमी से पीटा कि उसकी हालत बेहद नाजुक हो गई। ग्वालियर के कमला राजा अस्पताल में डॉक्टरों ने दो घंटे की सर्जरी के बाद बच्ची की जान बचाई, लेकिन वह अभी भी खतरे से बाहर नहीं है। बच्ची को उसके प्राइवेट पार्ट्स में 28 टांके लगे हैं और उसकी हालत इतनी गंभीर थी कि उसे कोलोस्टॉमी सर्जरी करनी पड़ी। हमले के पांच दिन बाद भी बच्ची होश में तो है, लेकिन बोल नहीं पा रही है।
क्या हुआ था उस दिन?
यह दिल दहलाने वाली घटना 23 फरवरी को हुई। शिवपुरी की रहने वाली यह बच्ची उस दिन अचानक लापता हो गई। लगभग दो घंटे तक उसका कुछ पता नहीं चला। परिवार और पड़ोसियों ने उसे हर जगह ढूंढा। आखिरकार, वह अपने ही मोहल्ले के एक घर की छत पर बेहोश हालत में मिली। उसके शरीर पर खून था, सिर पर गहरे जख्म थे, और प्राइवेट पार्ट्स पर कई कट्स, खरोंच और दांतों के निशान थे। पुलिस के मुताबिक, आरोपी ने नशे की हालत में बच्ची के सिर को दीवार पर कई बार पटका और फिर उसके साथ हैवानियत की।
आरोपी गिरफ्तार, लेकिन सजा का इंतजार
पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए 17 साल के आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। चूंकि वह नाबालिग है, इसलिए उस पर किशोर अदालत में मुकदमा चलेगा। लेकिन बच्ची के परिवार और स्थानीय लोगों का गुस्सा ठंडा होने का नाम नहीं ले रहा। बच्ची की मां ने कहा, “ऐसे हैवान को सड़क पर सबके सामने गोली मार देनी चाहिए।” उनका मानना है कि इतने जघन्य अपराध के लिए सिर्फ सख्त से सख्त सजा ही इंसाफ कर सकती है।
लोगों का गुस्सा सड़कों पर
इस घटना के बाद शिवपुरी में लोगों का आक्रोश फूट पड़ा। गुस्साए स्थानीय लोगों ने सड़कों पर प्रदर्शन किए। इसमें कई राजनीतिक दलों ने भी हिस्सा लिया। आमतौर पर एक-दूसरे के खिलाफ खड़े रहने वाले कांग्रेस और बीजेपी के नेता इस बार एक साथ आए। दोनों दलों के नेताओं ने जिला प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उन्होंने इस मामले को फास्ट-ट्रैक कोर्ट में चलाने और आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग की। यह एकता दिखाती है कि इस क्रूरता ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया है।
बच्ची की हालत और डॉक्टरों की मेहनत
डॉक्टरों का कहना है कि बच्ची की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। दो घंटे की सर्जरी के दौरान उसे स्थिर करने की कोशिश की गई, लेकिन उसके शरीर पर चोटों का असर गहरा है। सिर पर बार-बार दीवार से टकराने की वजह से उसे गंभीर चोटें आई हैं। इसके अलावा, उसके शरीर पर काटने के निशान और खरोंचें इस बात की गवाही देती हैं कि उसे कितना दर्द सहना पड़ा। बच्ची भले ही होश में हो, लेकिन उसकी चुप्पी उसके मन पर पड़े गहरे सदमे को बयां करती है।
समाज में बढ़ती चिंता
यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ा सवाल खड़ा करती है। आखिर क्यों एक मासूम बच्ची को ऐसी क्रूरता का शिकार बनना पड़ा? लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या बच्चों की सुरक्षा के लिए हमारे कानून और समाज पर्याप्त हैं? नशे और हिंसा का ऐसा खतरनाक मिश्रण कैसे एक किशोर को इतना क्रूर बना सकता है? इन सवालों के जवाब ढूंढना जरूरी है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
निष्कर्ष: इंसाफ और जागरूकता की जरूरत
इस भयानक घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि बच्चों की सुरक्षा के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है। बच्ची के परिवार का दर्द और लोगों का गुस्सा जायज है। यह मांग कि आरोपी को कड़ी सजा मिले, समाज की उस भावना को दर्शाती है, जो ऐसी क्रूरता को बर्दाश्त नहीं करना चाहता। हालांकि, एक एआई के तौर पर मैं यह तय नहीं कर सकता कि कौन सजा का हकदार है, लेकिन इतना साफ है कि इस मामले में जल्द से जल्द इंसाफ होना चाहिए। साथ ही, समाज को भी जागरूक होने की जरूरत है। बच्चों को सुरक्षित माहौल देना हम सबकी जिम्मेदारी है। स्कूलों, परिवारों और समुदायों को मिलकर ऐसी घटनाओं के खिलाफ सख्त रुख अपनाना होगा। तभी हम अपने बच्चों के लिए एक बेहतर और सुरक्षित कल बना पाएंगे।